Magrib Ki Mukammal Namaz (मग़रिब की मुकम्मल नमाज़ )
अस्सलामु अकेलुम मेरे अजीज़ दोस्तों
Magrib ki mukammal Namaz.
(मग़रिब की मुकम्मल नमाज़)
Magrib ki mukammal Namaz.
(मग़रिब की मुकम्मल नमाज़)
एक दिन में पांच 5 वक़्त की नमाज़ पढ़ी जाती है जिसमे से एक मग़रिब की नमाज़ भी शामिल है. आम तौर पर इस नमाज़ को शाम के सूरज डूबने से लेकर आसमान में पूरी तरह अँधेरा होने से पहले का वक़्त होता है (सूर्यास्त का वक़्त ) मग़रिब की नमाज़ में सबसे कम समय होता है , इसीलिए मस्जिद में अज़ान होने के तुरंत कुछ देर बाद जमात खड़ी हो जाती है /
नोट -मगरिब की अज़ान का मुकम्मल तौर पर वक़्त एक जैसा नहीं रहता , अगर दिन छोटा है तो अज़ान जल्दी होगी अगर दिन बड़ा है तो अज़ान देर से होती है
आईये साथियो आज हम जानते है मग़रिब की मुक़म्मल नमाज़ (Magrib Ki Mukammal Namaaz ) का आसान तरीका।
Step 1 = सबसे पहले पाक साफ़ होना ( गुसल होना )
Step 2 = वुज़ू का होना और उसेक बाद नमाज़ की नियत करना /
Step 3 = तीन रकाअत नमाज़ फर्ज़ पढ़ना
Step 4 = दो रकाअत नमाज़ सुन्नत पढ़ना
Step 5 =दो रकाअत निफ़्ल पढ़ना
मगरिब की मुक़म्मल नमाज़ (Magrib Ki Mukammal Namaaz )
"अज़ान" एक विशेष इस्लामी संदेश है, जो नमाज़ से पहले नमाज़ के बुलावे के लिए बोला जाता है। मुअज़्ज़िन यानी अज़ान देने वाला नमाज़ से पहले मस्जिद के मीनार या माइक से अज़ान के ज़रिये बुलावा लगाता है। इस्लामी धर्म के मुताबिक अज़ान वह पहले शब्द हैं, जो नवजात शिशु के कानों में बोले जाना चाहिएं। नवजात शिशु के कानों में इन शब्दों को इंग्लिश, अरबी या दूसरी भाषा में भी कहा जा सकता है, जो कि आप पर निर्भर करता है।
एक दिन में पांच वक़्त की नमाज़ अदा करी जाती है। और पांचो वक़्त की नमाज़ से पहले हर एक मस्जिद से नमाज़ के लिए एक बुलावा आता है जिसको हम अज़ान कहते है। नमाज़ की शुरुआत अज़ान से होती है।
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Step 1- सबसे पहले पाक साफ होना (गुसल)
ग़ुस्ल कहते है शारीरिक रूप से पाक साफ़ (शुद्ध ) होना। इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण क्रिया है, जिसमें आत्मिक और शारीरिक शुद्धि (पाक-साफ़) की जाती है। गुस्ल को सही तरीके से करना ज़रूरी (महत्वपूर्ण ) है , ताकि धार्मिक दायित्वों को पूरा किया जा सके और शुद्धता की स्थिति हासिल की जा सके। नीचे गुस्ल करने का आसान तरीका व , साथ ही कुछ सुन्नत और फर्ज़ जुड़े हुए हैं।
2. "बिस्मिल्लाह" कहें: गुस्ल शुरू करते समय "बिस्मिल्लाह" कहें (अल्लाह के नाम से)।
3. हाथ धोएं: दोनों हाथो को तक इस तरह धोये कि ज़रा सी भी किसी भी प्रकार की गन्दगी न रह जाये।
4. वुडू (वज़ू) करें: गुस्ल शुरू करने से पहले, गुस्ल करने के लिए वुडू शामिल करना बहतर है, जैसे कि नमाज के लिए वुडू करना होता है।
5. मुंह और नाक धोएं: मुंह में पानी भरें और तीन बार गरारा करें। फिर, नाक में पानी खींचें और तीन बार बाहर निकालें।
6. निजी अंगों को धोएं: निजी अंगों को शुद्धि से धो लें और उनमें से किसी भी प्रकार की अशुद्धि को दूर करें।
7. पूरे शरीर को धोएं: अब, पानी को पूरे शरीर पर डालें, सुनिश्चित करें कि बाल बराबर भी सूखा न रह जाये और अपने आप को किसी भी प्रकार की अशुद्धि से धो लें। इसके दौरान, धोने का क्रम ध्यान रखना सुसम्मत है:
Note-
1 ) सिर और बाल, ध्यान रखें कि पानी बालों की जड़ तक पहुंचे।
2 ) दाहिनी ओर से शरीर को, कंधे से पाँव तक धोएं।
3 ) बाएं ओर से शरीर को, कंधे से पाँव तक धोएं।
-गुस्ल की फ़रायज़-
मुख्या रूप से ग़ुस्ल के तीन फ़रायज़ है जो की नीचे निम्न लिखित है।
1: तीन बार कुल्ली करना , रोजा ना हो तो गरारा करना.
2 : नाक की नरम हड्डी तक पानी पहुँचाना.
3 : पुरे बदन पर इस कदर पानी बहाना ,की एक बाल बराबर भी सूखा ना रह जाये.
गुस्ल के फ़र्ज़ (अनिवार्य कार्य) :
यूँ तो कोई भी विशेष अनिवार्य कार्य गुस्ल करने के लिए कहा गया है, जैसे कि कुरआन या हदीस में उल्लिखित नहीं है। गुस्ल अनिवार्य होता है जब ऐसे कुछ संदर्भों में, जैसे कि शारीरिक संबंध, वीर्य का निर्वहन (पुरुषों के लिए), मासिक धर्म, प्रसूति के बाद की खूनी बहना, और इस्लाम धर्म में धार्मिक रूप से बदले जाने पर।
गुस्ल के बाद:
एक बार गुस्ल पूरा होने पर, अल्लाह की बरकत और माफ़ी की दुआएं मांगने के लिए दो रक'आत की नफ़्ल नमाज़ अदा करना सुन्नत है।
Note-ध्यान रखें कि गुस्ल अहम होने के साथ-साथ, इस्लाम एक दयालु और समझदार धर्म है। यदि किसी को स्वास्थ्य संबंधी कारणों या अन्य अनिवार्य परिस्थितियों के कारण गुस्ल करने में असमर्थता होती है, तो वह एक ज्ञानी इस्लामी विद्वान से सलाह लेने और विकल्पों के लिए देखभाल करने की कोशिश करें।
Step 2 वज़ू
वज़ू करने का तरीका:-
वज़ू के चार फ़रायज़ हैं , जिसमे से किसी एक का भी छूटजाना वज़ू मुकम्मल नहीं माना जाता है।1. चेहरा धोना: – चेहरा को पेशानी forehead (माथा) के बालों से ठुड्डी Chin के नीचे तक, एक कान के आखीर से दुसरे कान के आखीर तक इस तरह धोया जाये कि एक बाल बराबर भी जगह सूखी ना रहे।
2. हाथ धोना: – दोनों हाथों को कोहनियों समेत इस तरह धोना कि एक बाल बराबर भी जगह सूखी न बचे।
3. चौथाई सर का मसा करना: -- (दोनों हाथों के अंगूठे और कलमे की उँगलियों को छोड़ कर बाकी के तीन-तीन उंगलियों के सिरों को आपस में मिलाकर, पेशानी के बाल उगने की जगह पर रखें, अगर बाल हों तो खाल पर रखें। अब उंगलियों के पेट से मसह करते हुए सिर के ऊपरी हिस्से पर पीछे को ऐसे ले जाए कि हथेलियां सर से जुदा रहे। उसके बाद हथेलियो से सर के दोनों करवटों का मसह करते हुए पेशानी तक वापस लायें और हाथ सिर से हटा लें। उसके बाद कलिमे की उंगलीयो के पेट से कान के अंदरूनी हिस्सा का मसह करें। उसके बाद अंगूठे के पेट से कान की बाहर की सतह का मसह करे ,तो इस तरह चौथाई सिर का मसाह करना है।)
4. दोनों पाँव टखनों समेत धोना: -- पानी से दोनों पैरों को धोना है। सबसे पहले दाहिनी पैर पर पानी डालकर कम से कम तीन बार टखनों तक इस तरह धोये की बाल बराबर भी सूखा न रह जाये , उसके बाद बाएं पैर को ठीक दाहिनी पैर की तरह तीन बार धोएं।
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वज़ू करने का मुकम्मल तरीका:-
2- वज़ू की दुआ पढ़ ले।
بِسْمِ اللّٰهِ الْعَظِيْمِ وَالْحَمْدُ الِلّٰهِ عَلٰى دِيْنِ الْاِسْلَامِ
3-दोनों हाथों को कलाई तक मलना:- अपने हाथो को कलाई समित तीन बार अच्छे से साफ़ पानी से धोना है। याद रहे अगर आप कोई अंगूठी या घडी जैसे किसी भी प्रकार के ज़ेबर पहने हो तो उसको हिला दुला लो या उतर लो ताकि बाल बराबर भी सूखा न रहे।
इस तरह Wazu Karne Ka Tarika मुकम्मल हुआ।
Magrib ki mukammal Namaz.
(मग़रिब की मुकम्मल नमाज़)
मग़रिब की मुकम्मल नमाज़ में कुल 7 रकाअत होती है।
3 फ़र्ज़ , 2 सुन्नत , 2 नफ़्ल = 7 रकाअत
Step 2:- नमाज पढ़ने की नियत।
सबसे पहले मगरिब की नमाज़ की नियत करने का सही तरीका--
वैसे तो जब हम नमाज पढ़ने खड़े होते हैं तब नमाज की नियत बोलना जरूरी नहीं होता है।लेकिन आपको यह पता होना जरूरी है कि जो आप नमाज़ पढ़ रहे हैं उसमें कितनी रकातें हैं और उस नमाज़ का समय क्या है….
नियत करना कहते है इरादे को, अगर आपको पता है कि आप कौन सी नमाज़ अदा करने जा रहे हो और अनजाने में आपकी जुबां से कोई और नमाज़ की नियत निकल जाये तो आपकी नमाज़ ख़राब नहीं होती।
1 - मग़रिब की तीन रकाअत नमाज़ फ़र्ज़ पढ़ने की नियत
Note (यदि आप इमाम साहब के पीछे है तब ये पढ़े ) ‘‘ ‘‘ नियत की मैंने तीन रकात नमाज़ मग़रिब की फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, पीछे इमाम साहब के अल्लाहु अकबर”
Note (यदि आप अकेले पढ़ रहे हों तब ये पढ़े ) ‘‘ नियत की मैंने तीन रकात नमाज़ मग़रिब की फ़र्ज़ , वास्ते अल्लाह के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर”
Mabrib ki mukammal Namaz.
(मगरिब की तीन रकाअत नमाज़ फर्ज़ )
इसके बाद "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" पढ़ें।
इसको पढ़ने के बाद आप "सूरह-अल-फातिहा" पढ़ेंगे।
इसके बाद अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुए रुकू (Ruku) में जाए।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे
“अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन”
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
नोट: - अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली को आपको इस तरह ऊपर उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी उंगली के पेट दोनों आपस में मिले रहें और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे
“अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन”
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
नोट: - अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली को आपको इस तरह ऊपर उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी उंगली के पेट दोनों आपस में मिले रहें और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।दरूदे इब्राहीम |
*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.दुआ ए मासुरा | Dua E Masura In Hindi
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘
इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
दुआ ए मसुरा पड़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
Step 4 -- दो रकाअत नमाज़ सुन्नत पढ़ना
दो रकाअत नमाज़ सुन्नत पढ़ने की नियत
‘‘ नियत करता/करती हूं मैं दो रकात नमाज़ मग़रिब , सुन्नत रसूलुल्लाह की ,वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर ”
सना – “सुब्हा न कल्ला हुम्मा व बिहमदिका व त बा र कस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक”
इसके बाद "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" पढ़ें।
इसको पढ़ने के बाद आप "सूरह-अल-फातिहा" पढ़ेंगे।
इसके बाद अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुए रुकू में जाए।
रुकू में जाने के बाद आप रुकु में अल्लाह की ये तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
तशहुद की हालत में यह पढें--
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे--
अत्तहियात
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।
दरूदे इब्राहीम
दरूदे पाक पढ़ने के बाद आप dua e masura पढ़ेंगे..
दुआ ए मासुरा
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
दुआ ए मसुरा पड़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
"पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
-- इस तरह मग़रिब की दो रकाअत नमाज़ सुन्नत का मुकम्मल तरीका हुआ --
Islamic Festival name
Step 4-- दो रकाअत नमाज़ नफ्ल पढ़ना
दो रकाअत नमाज़ नफ़्ल पढ़ने की नियत
‘‘ नियत करता/करती हूं मैं दो रकात नमाज़ मग़रिब ,निफ़्ल रसूलुल्लाह की, वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर ”
तकबीर (अल्लाहु अक्बर) कह कर नमाज़ की शुरूआत करें।
सना – “सुब्हा न कल्ला हुम्मा व बिहमदिका व त बा र कस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक”

इसके बाद "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" पढ़ें।
नोट - सना और "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" सिर्फ पहली ही रकाअत में पढ़ा जाता है।
इसको पढ़ने के बाद आप "सूरह-अल-फातिहा" पढ़ेंगे।
"सूरह-अल-फातिहा" पढ़ने के बाद क़ुरआन शरीफ सी भी कुल , सूरह या आयत पढ़े , यदि आपको कोई सी भी सूरह या कुल याद नहीं है तो यहाँ क्लिक कर के याद करें।
इसके बाद अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुए रुकू में जाए।
‘‘ नियत करता/करती हूं मैं दो रकात नमाज़ मग़रिब ,निफ़्ल रसूलुल्लाह की, वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर ”
इसके बाद "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" पढ़ें।
रुकू में जाने के बाद आप रुकु में अल्लाह की ये तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सुबहाना रब्बी यल अज़ीम पढ़कर आप “समीअल्ला-हु-लिमन-हमीदाह” कहते हुए रुकू से सीधे खड़े हो जाएंगे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायेंगे।
यदि आप इमाम साहब के पीछे नमाज़ अदा कर रहे है तो ‘रब्बना व लकल हम्द कहेंगे और फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायेंगे।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
अब आप दूसरी रकाअत के लिए खड़े हो जाये, और सबसे पहले सूरह -अल-फातिहा पढ़े, और उसके बाद क़ुरआन शरीफ की कोई भी सूरह या आयत पढ़े। याद रहे कि इस रकाअत में पहले वाली रकाअत के मुकाबले छोटी सूरह या आयत होनी चाहिए।
अब रुकू में जाने के बाद आप रुकु में अल्लाह की ये तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सुबहाना रब्बी यल अज़ीम पढ़कर आप “समीअल्ला-हु-लिमन-हमीदाह” कहते हुए रुकू से सीधे खड़े हो जाएंगे फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायेंगे।
यदि आप इमाम साहब के पीछे नमाज़ अदा कर रहे है तो ‘रब्बना व लकल हम्द कहेंगे और फिर अल्लाहु-अकबर कहते हुवे सज्दे में जायेंगे।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
रुकू में जाने के बाद आप रुकु में अल्लाह की ये तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
तशहुद की हालत में यह पढें--
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे--
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे--
अत्तहियात
“अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन अशहदु अल्ला इलाह इल्लल लाहु व अशहदु अन्ना मुहम्मदुन अब्दुहु व रूसू लुहू ”अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
नोट: - अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली को आपको इस तरह ऊपर उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी उंगली के पेट दोनों आपस में मिले रहें और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।
दरूदे इब्राहीम
"अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.अल्लाहुम्मा बारीक़ अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा बारकता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद* सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम "दरूदे पाक पढ़ने के बाद आप dua e masura पढ़ेंगे..
दुआ ए मासुरा
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
दुआ ए मसुरा पड़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
"पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
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"पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
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