Step by step (Salatul Tasbih) सालतुल तस्बीह पढ़ने का सही व आसान तरीका
Step by Step सालतुल तस्बीह (Salatul Tasbih.)पढ़ने का सही व आसान तरीका
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
- नमाज़-ए-तस्बीह "सालतुल तस्बीह "(Salatul Tasbih.) में 4 रकात नमाज़ होती है, जिसकी एक रकाअत में 75 मर्तबा एक ख़ास तस्बीह के अल्फाज़ो को पढ़ा जाता है। । ठीक इसी तरह से चारो रकाअत में 75 * 4 = 300 मर्तबा बढ़ा जाता है।
- इस तस्बीह के ख़ास अल्फाज़ ऐसे हैं:
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
-:सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर:-
स्टेप बाय स्टेप सालतुल तस्बीह (Salatul Tasbih)पढ़ने का सही व आसान तरीका :
Step-1
तकबीर (अल्लाहु अक्बर) कह कर नमाज़ (Salatul Tasbih) की शुरूआत करें। (नोट: नमाज़ की नियत ज़बान से अदा करना रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का तरीका नहीं है इसलिए इसकी नज़रअंदाज़ करें।)
Step-2
Step-3
सना पढ़ने के बाद व सूरह फातिहा पढ़ने से पहले 15 बार इस ख़ास तस्बीह की तिलावत करे.
Step-5
सुरह फातिहा के बाद कोई सूरह, कुल या आयात पढ़ें । उदहारण (कुल आउज़ु भी रब्बिल फलक......., या कुल आउज़ु बि रब्बिंनास......., (जो याद हो).....etc )
Step-6
Step-7
रूकुअ में जाये और रूकुअ में पढ़े जाने वाले ज़िक्र को पढ़े (सुब्हान रब्बीयल अज़ीम)। इसको पढ़ने के बाद रुकूअ की हालत में 10 मर्तबा फिर से यही तस्बीह पढ़ें,
रूकुअ में जाये और रूकुअ में पढ़े जाने वाले ज़िक्र को पढ़े (सुब्हान रब्बीयल अज़ीम)। इसको पढ़ने के बाद रुकूअ की हालत में 10 मर्तबा फिर से यही तस्बीह पढ़ें,
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
Step-9
. अब सज्दें में जाये और सज्दे का ज़िक्र पढ़ें (सुब्हाना रब्बी अल आला) और सज़दे की हालत में ही 10 मर्तबा फिर से यही तस्बीह पढ़ें --
“सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
Step-10
अब सज्दे से उठें और सज्दे से उठने की दुआ पढ़ें (रब्बीग़ फिरली रब्बीग़ फिरली) और फिर इसके बाद फिर से 10 मर्तबा यह ख़ास तस्बीह पढ़े ,
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
सालतुल तस्बीह (Salatul Tasbih) की यहाँ पहली रकत पूरी हो जाती है और इस तरह 75 मर्तबा ख़ास तस्बीह पढ़ ली जाती है।
Step-12
Step-14
अब सज्दें में जाये और सज्दे का ज़िक्र पढ़ें (सुब्हाना रब्बी अल आला) और सज़दे की हालत में ही 10 मर्तबा फिर से यही तस्बीह पढ़ें --
“सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
“सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे
“अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन”
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
नोट: - अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली को आपको इस तरह ऊपर उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी उंगली के पेट दोनों आपस में मिले रहें और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।दरूदे इब्राहीम |
*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.सालतुल तस्बीह (Salatul Tasbih) की यहाँ 2nd रकअत पूरी हो जाती है और इस तरह 75 मर्तबा ख़ास तस्बीह पढ़ ली जाती है।
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
“सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
“सुब्हान अल्लाही वल हमदुलिल्लाही व ला इलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर”
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
سُبْحَانَ اللَّهِ وَالْحَمْدُ لِلَّهِ وَلاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ وَاللَّهُ أَكْبَر
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे
“अत्ताहियातु लिल्लाहि वस्सलवातु वत्तैयिबातू अस्सलामु अलैका अय्युहन नबिय्यु व रहमतुल्लाही व बरकताहू अस्सलामु अलैना व अला इबादिल्लाहिस सालिहीन”
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
नोट: - अशहदु अल्ला {ला} पर सीधे हाथ की शहादत की ऊँगली को आपको इस तरह ऊपर उठाना है कि अंगूठा और बीच की सबसे बड़ी उंगली के पेट दोनों आपस में मिले रहें और शहादत की ऊँगली ऊपर करना है।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।दरूदे इब्राहीम |
*अल्लाहुम्मा सल्ली अला मुहम्मद व आला आली मुहम्मद कमा सल्लैता आला इब्राहिम वा आला आली इब्राहिमा इन्नका हमिदुम मजिद.दुआ ए मासुरा | Dua E Masura In Hindi
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘
इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
दुआ ए मसुरा पड़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
वैसे तो नमाज़-ए-तस्बीह "सालतुल तस्बीह " (Salatul Tasbih.) को आम तौर पर कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन ख़ास तौर पर शब् ए क़द्र की रात या जुमे के दिन पढ़ी जाती है।
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