Fajar Ki Mukammal Namaaz / फज़र की मुक़म्मल नमाज़
अस्सलामु अकेलुम मेरे अजीज़ दोस्तों
आईये साथियो आज हम जानते है फज़र की मुक़म्मल नमाज़ (Fajar Ki Mukammal Namaaz ) का आसान तरीका
Step 1- सबसे पहले बा-वज़ू होना।
Step 2- 2 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़ना।
Step 3- 2 रकात नमाज़ फ़र्ज़ पढ़ना।
एक दिन में पांच वक़्त की नमाज़ अदा करी जाती है। और पांचो वक़्त की नमाज़ से पहले हर एक मस्जिद से नमाज़ के लिए एक बुलावा आता है जिसको हम अज़ान कहते है।
नमाज़ की शुरुआत अज़ान से होती है।
"अज़ान" एक विशेष इस्लामी संदेश है, जो नमाज़ से पहले नमाज़ के बुलावे के लिए बोला जाता है। मुअज़्ज़िन यानी अज़ान देने वाला नमाज़ से पहले मस्जिद के मीनार या माइक से अज़ान के ज़रिये बुलावा लगाता है। इस्लामी धर्म के मुताबिक अज़ान वह पहले शब्द हैं, जो नवजात शिशु के कानों में बोले जाना चाहिएं। नवजात शिशु के कानों में इन शब्दों को इंग्लिश, अरबी या दूसरी भाषा में भी कहा जा सकता है, जो कि आप पर निर्भर करता है।
Note- फज़र की नमाज़ दिन की पांच नमाज़ो में से सबसे पहली व रकात में सबसे छोटी नमाज़ होती है जो सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाती है। जिसमे 2 सुन्नत, 2 फ़र्ज़ मिलाकर कुल 4 रकात होती है, जिसमे 2 रकात नमाज़ सुन्नते पढ़ना ज़रूरी है ।
Fajar Ki Mukammal Namaaz(फज़र की मुक़म्मल नमाज़ )
Step 1- सबसे पहले बा-वज़ू होना।
वज़ू करने का तरीका:-
वज़ू के चार फ़रायज़ हैं , जिसमे से किसी एक का भी छूट जाना वज़ू मुकम्मल नहीं माना जाता है।1. चेहरा धोना: – चेहरा को पेशानी forehead (माथा) के बालों से ठुड्डी Chin के नीचे तक, एक कान के आखीर से दुसरे कान के आखीर तक इस तरह धोया जाये कि एक बाल बराबर भी जगह सूखी ना रहे।
2. हाथ धोना: – दोनों हाथों को कोहनियों समेत इस तरह धोना कि एक बाल बराबर भी जगह सूखी न बचे।
3. चौथाई सर का मसा करना: -- (दोनों हाथों के अंगूठे और कलमे की उँगलियों को छोड़ कर बाकी के तीन-तीन उंगलियों के सिरों को आपस में मिलाकर, पेशानी के बाल उगने की जगह पर रखें, अगर बाल हों तो खाल पर रखें। अब उंगलियों के पेट से मसह करते हुए सिर के ऊपरी हिस्से पर पीछे को ऐसे ले जाए कि हथेलियां सर से जुदा रहे। उसके बाद हथेलियो से सर के दोनों करवटों का मसह करते हुए पेशानी तक वापस लायें और हाथ सिर से हटा लें। उसके बाद कलिमे की उंगलीयो के पेट से कान के अंदरूनी हिस्सा का मसह करें। उसके बाद अंगूठे के पेट से कान की बाहर की सतह का मसह करे ,तो इस तरह चौथाई सिर का मसाह करना है।)
4. दोनों पाँव टखनों समेत धोना: -- पानी से दोनों पैरों को धोना है। सबसे पहले दाहिनी पैर पर पानी डालकर कम से कम तीन बार टखनों तक इस तरह धोये की बाल बराबर भी सूखा न रह जाये , उसके बाद बाएं पैर को ठीक दाहिनी पैर की तरह तीन बार धोएं।
वज़ू करने का मुकम्मल तरीका:-
2- वज़ू की दुआ पढ़ ले।
بِسْمِ اللّٰهِ الْعَظِيْمِ وَالْحَمْدُ الِلّٰهِ عَلٰى دِيْنِ الْاِسْلَامِ
3-दोनों हाथों को कलाई तक मलना:- अपने हाथो को कलाई समित तीन बार अच्छे से साफ़ पानी से धोना है। याद रहे अगर आप कोई अंगूठी या घडी जैसे किसी भी प्रकार के ज़ेबर पहने हो तो उसको हिला दुला लो या उतर लो ताकि बाल बराबर भी सूखा न रहे।
इस तरह Wazu Karne Ka Tarika मुकम्मल हुआ।
Fajar Ki Mukammal Namaaz(फज़र की मुक़म्मल नमाज़ )
Step 2:- 2 रकात नमाज़ सुन्नत पढ़ना।
फज़र की दो रकात सुन्नत नमाज़ की नियत करने का तरीका
1- वैसे तो जब हम नमाज पढ़ने खड़े होते हैं तब नमाज की नियत बोलना जरूरी नहीं होता है।लेकिन आपको यह पता होना जरूरी है कि जो आप नमाज़ पढ़ रहे हैं उसमें कितनी रकातें हैं और उस नमाज़ का समय क्या है….
‘‘ नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फजर, सुन्नत वास्ते अल्लाह ताआला के, मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर ”
नियत करना कहते है इरादे को, अगर आपको पता है की आप कौन सी नमाज़ अदा करने जा रहे हो और अनजाने में आपकी जुबां से कोई और नमाज़ की नियत निकल जाये तो आपकी नमाज़ ख़राब नहीं होती।
सना – “सुब्हा न कल्ला हुम्मा व बिहमदिका व त बा र कस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक”
इसके बाद "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" पढ़ें।
इसको पढ़ने के बाद आप "सूरह-अल-फातिहा" पढ़ेंगे।
इसके बाद अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुए रुकू में जाए।
रुकू में जाने के बाद आप रुकु में अल्लाह की ये तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
तशहुद की हालत में यह पढें--
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे--
अत्तहियात
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।
दरूदे इब्राहीम
दरूदे पाक पढ़ने के बाद आप dua e masura पढ़ेंगे..
दुआ ए मासुरा
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
दुआ ए मसुरा पड़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
"पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
-- इस तरह फज़र की दो रकाअत नमाज़ सुन्नत का मुकम्मल तरीका हुआ --
Fajar Ki Mukammal Namaaz(फज़र की मुक़म्मल नमाज़ )
-- फज़र की दो रकात नमाज़ फर्ज की नियत करने का तरीका --
नोट: - अगर आप Fajar Ki Mukammal Namaz अकेले पढ़ें या नमाज़ घर पर खुद से पढ़ें, तो यह नियत कहे -" नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताआला के मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर ”
अगर आप फ़र्ज नमाज़ इमाम के पीछे पढ़ रहे हैं तो आप वास्ते अल्लाह ताआला के बाद "पीछे इस इमाम के" लगायें। "नियत करता हूं मैं दो रकात नमाज़ फजर की फर्ज वास्ते अल्लाह ताआला के मूंह मेरा काबा शरीफ की तरफ पीछे इस इमाम के अल्लाहु अकबर ”
इमाम साहब जब अल्लाहु अकबर कहकर हाथ बांध लें, तब आपको भी नियत करके हाथ बाँध लेना है।
नियत करना कहते है इरादे को, अगर आपको पता है की आप कौन सी नमाज़ अदा करने जा रहे हो और अनजाने में आपकी जुबां से कोई और नमाज़ की नियत निकल जाये तो आपकी नमाज़ ख़राब नहीं होती।
सना – “सुब्हा न कल्ला हुम्मा व बिहमदिका व त बा र कस्मुका व तआला जददुका वला इलाहा गैरुक”
इसके बाद "अउजू-बिल्लाहि-मिनश-शैतान-निर्रजीम-बिस्मिल्लहि-र्रहमानिर-रहीम" पढ़ें।
इसको पढ़ने के बाद आप "सूरह-अल-फातिहा" पढ़ेंगे।
इसके बाद अल्लाहु-अकबर (Takbeer) कहते हुए रुकू में जाए।
रुकू में जाने के बाद आप रुकु में अल्लाह की ये तस्बीह “सुबहाना रब्बी यल अज़ीम” 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ पढेंगे।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
सजदे में आप 3, 5 या 7 मर्तबा इत्मीनान के साथ “सुबहाना रब्बी यल आला” पढेंगे।
जिस तरह से इस ऊपर दी गयी तस्वीर में दिखाया जा रहा है ठीक उसी तरह पहले सजदे के बाद जिलसे की हालत में बैठना है। और रब्बिग फिरलि रब्बिग फिरलि तिलावत करना है। और फिर उसके बाद दूसरे सज़दे में जाना है।
रुकू में अपनी निगाह पैरों के अंगूंठों पर रखें।
तशहुद की हालत में यह पढें--
तशहुद में बैठकर आप सबसे पहले अत्तहियात पढेंगे--
अत्तहियात
अत्तहियात में जब ‘अश्हदू अल्लाह इलाहा’ आयेगा तब आप अपनी शहादत की उंगली को उठा कर के छोड़ दें।
अत्तहियात के बाद आप दरूद शरीफ पहेंगे, दरूद शरीफ पढ़ना जरूरी है।
दरूदे इब्राहीम
दरूदे पाक पढ़ने के बाद आप dua e masura पढ़ेंगे..
दुआ ए मासुरा
“अल्लाहुम्मा इन्नी ज़लमतू नफ़्सी ज़ुलमन कसीरा, वला यग़फिरुज़-ज़ुनूबा इल्ला अनता, फग़फिरली मग़ फि-र-तम्मिन ‘इनदिका, वर‘हमनी इन्नका अनतल ग़फ़ूरूर्र रहीम”
दुआ ए मासुरा पड़ने के बाद आप सलाम फ़ेर लें।
"पहला सलाम फेरेंगे तो आप अपने दाए काँदे (Right Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे, अस्सलमो अलैकुम वरहमातुलह।
आप फिर दूसरा सलाम फेरेंगे दूसरा सलाम फेरेंगे तो आप अपने बाए काँदे (Left Shoulder) पर देखते हुए कहेंगे अस्सलमों अलैकम वरहमातुलह।
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